केशव और श्यामा के दिल में बहुत तरह के सवाल उठते। जैसे अंडे कैसे होंगे ? कितने बड़े होंगे ? क्या खाते होंगे ? कैसे उड़ेंगे ? चिड़ियों का घोंसला कैसा होगा ? परन्तु सवालों का जवाब देने वाला कोई नहीं था क्योंकि उनकी माता को काम - धंधे से फुर्सत नहीं होती थी और बाबूजी पढ़ने - लिखने में व्यस्त रहते थे इसलिए वे आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे।