एक दिन बाड़े में साप कहीं से घुस आया उसने खेलते खरगोश के बच्चे को मारने के लिए पीछे से जकड़ लिया, बच्चा चींचीं करने लगा।इस कंदर्न की आवाज सुनकर नीलकंठ की आंखे खुली और झूले से नीचे उतरे, उन्होंने साप को गर्दन से बड़ी ही सतर्कता से पकड़ा और तब तक अपनी चोंच वार किया जब तक वह अधमरा नहीं हो गया इस तरह बच्चे कि जान बचाई गई।
इस घटना के आधार पर नीलकंठ की निम्न विशेषताओं का ज्ञान होता है:
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नीलकंठ बाड़े का एक सजग और सचेत मुखिया था।जिस प्रकार घर के मुखिया सबका ध्यान रखते हैं उसी प्रकार नीलकंठ भी सबका ध्यान रखते हैं।
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नीलकंठ समझदार थे जिस प्रकार उन्होंने समझदारी से साप को जकड़ा उससे खरगोश का बच्चा बच गया।
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नीलकंठ बहुत साहसी था , उसने जल्दी से बिना डरे साप को पकड़ा और बच्चे को सुरक्षित बचा लिया।
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नीलकंठ बहुत दयालु ठवह पूरी रात खरगोश के बच्चे को पंख से गरम करते रहे।