रोहनी को मुरली वाले की आवाज जानी पहचानी लगी। उसे स्मरण हो आया कि खिलौने वाला भी इसी मधुर आवाज में गाकर खिलौने बेचा करता था और इसी तरह मुरली वाले की आवाज भी मधुर थी। यह भी मधुर आवाज में गाकर मुरलियाँ बेच रहा था इसलिए रोहनी को मुरली वाले के स्वर से खिलौने वाले का स्मरण हो आया।