‘तलवार का महत्व होता है, म्यान का नहीं’ से कबीर का यह आशय है कि जिस चीज़ की जरूरत होती है उसी का महत्व भी होता है। बेकार की वस्तु की कोई महत्वता नहीं होती। इसी प्रकार से किसी भी व्यक्ति या मनुष्य को उसके गुणों के आधार से तथा उसकी काबिलियत के आधार पर उसकी पहचान अथवा मोल करना चाहिए न कि कुल, जाति, धर्म तथा वेशभूषा आदि से। उसी प्रकार मनुष्य को ईश्वर का भी वास्तविक ज्ञान होना चाहिए। ढोंग-आडंबर तो म्यान के तरह बेकार है। इसीलिए मन से ईश्वर की भक्ति करो।