(क) मोहल्ले के बच्चों ने एक साथ मिलकर फ़ालतू पड़े एक छोटे से सार्वजनिक मैदान में घास व फूल-पौधे भी लगाए थे। और वहीं एक मंच भी बना लिया था।
(ख) पर्दे की आड़ में खड़े अन्य साथी मन ही मन राकेश की तुरतबुद्धि की प्रशंसा कर रहे थे क्योंकि राकेश ने बिगड़े हुए नाटक को सम्भाल लिया था। सभी ने समझा कि नाटक में नाटक की परेशानियां बताई गई हैं और अंत में सभी दर्शक नाटक की तारीफ़ करते चले गए।
(ग) नाटक बिना तैयारी के नहीं हो सकता क्योंकि नए कलाकार मंच पर आकर भयभीत हो सकते हैं। अच्छे-अच्छे कलाकार भी बिना रिहर्सल के परेशान हो जाते हैं। उन्हें पता नहीं चलता कब, क्या, कहाँ और कैसे बोलना है। रिहर्सल में नाटक की इन्हीं महत्वपूर्ण बातों पर बातचीत होती है।