कवि ने इस कविता में पक्षी और बादल को भगवान के डाकिये के रूप में प्रदर्शित किया है क्योंकि जिस तरह डाकिया एक मानव का सन्देश दूसरे तक पहुंचा कर अपने संदेशवाहक होने का कर्तव्य पूरा करता है उसी तरह पक्षी और बादल भी भगवान और प्रकृति के मानवता एवं आपसी सौहार्द्र के सन्देश को सम्पूर्ण विश्व में पहुँचाने का प्रयत्न करते है, यह अलग बात है की यह सन्देश हम कई बार भले ही नहीं समझ पाते किन्तु वह अपना संदेशवाहक होने का दायित्व निभाने का भरसक प्रयास करते है।