पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश नहीं दे सकता क्योंकि हर साधन की अपनी एक खासीयत होती है। केवल कामकाजी बातों को संक्षिप्त रूप से व्यक्त करने की बात हो तो फोन और एसएमएस को भी देखा जा सकता है। मगर पत्रों द्वारा हम अपने मन में आ रहे सभी भावों को निश्चिंत व विस्तारपूर्वक ज़ाहिर कर सकते है। पत्रों को हम अपने सगे-सम्बंधियों की धरोहर के रूप में संभाल कर रख सकते है। परन्तु फ़ोन या एस.एम.एस को हम सहेज कर नहीं रख सकते। पत्रों से आत्मीयता झलकती है। पत्रों को हम अनुसंधान का विषय भी बना सकते हैं और ये बहुत-सी पुस्तकों का आधार है। यह राजनीति, साहित्य तथा कला क्षेत्र में प्रगतिशील आंदोलन के लिए एक बड़ी वजह के रूप में भी देखा जा सकता है जबकि इस दृष्टि से फोन या एसएमएस द्वारा दिए गए संदेश अक्षम हैं।