(क) आंध्र के घने जंगलों में रहने वाले आदिवासियों के बीच अपना हक जमाने के लिए अंग्रेजों के द्वारा उस रास्ते की नाकाबंदी करवा दी गई जिस रास्ते से आदिवासी अपने लिए भोजन एवं पानी लेकर जाते थे। अंग्रेजों के ऐसा करने से आदिवासियों का जीवन बहुत ही कठिन हो चुका था, जिससे उनके भूखे मरने की हालत हो चुकी थी और इसी के चलते अपना जीवन बचाने के लिए आदिवासियों के पास अंग्रेजों के सामने अपना सर झुकाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।
(ख) श्री श्री राम राजू एक पढ़े-लिखे व्यक्ति थे। उन्होंने हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त की हुई थी। स्कूल की शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात उन्होंने साधु बनने का फैसला किया जब उनकी उम्र केवल 18 साल थी। उन्होंने आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए उन्हें प्रेरित किया| श्री राम राजू की ऐसी सोच से सभी आदिवासी सहमत थे और उन्हें अपना नेता मानने लगे।श्रीराम राजू के द्वारा अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण इसलिए किया गया क्योंकि अंग्रेजों ने उनके सभी खाने पीने वाले रास्तों पर नाकाबंदी लगा दी थी जिस कारण उनके भूखे मरने की नौबत आ चुकी थी तो श्री राम राजू ने आत्मसमर्पण का फैसला किया।
(ग) अंग्रेजों से लड़ने के लिए कोया आदिवासियों द्वारा अपने आप को बचाने के लिए यह रास्ता अपनाए गए थे| वह घने जंगलों में पेड़ों के पीछे छुप छुप कर अंग्रेजी सेना पर हमला किया करते थे तथा गुप्त रास्तो से भी अंग्रेजी सेना पर आदिवासियों द्वारा हमला किया जाता था। जब अंग्रेज़ी सेना एक साथ होकर जंगल के रास्ते से गुजरते तो वह कुछ भारतीय सैनिकों को छोड़ देते थे और अन्य लोगों को जैसे अंग्रेज़ी सारजेन्ट या कैप्टन पास आते तो उन्हें मार देते थे|
(घ) अत्याचार के विरुद्ध जब भी किसी व्यक्ति या समूह के द्वारा कोई लड़ाई लड़ी जाती है तो उसे स्वाधीनता या स्वतंत्रता संग्राम कहा जा सकता है। यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ अंग्रेजों के अत्याचार से परेशान हुए आदिवासियों ने उनके खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते इसने एक नया रूप धारण कर लिया जिसे स्वतंत्रता संग्राम कहा जा सकता है। अंग्रेजों ने आदिवासियों को बिना मजदूरी के सड़क बनाने का आदेश दिया था और यह एक प्रकार का आदिवासियों पर अत्याचार था। इन्हीं आदिवासियों द्वारा की गई इस लड़ाई को स्वतंत्रता संग्राम का कहा जा सकता है।