NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 18 - Dhwani

Class 8 Hindi Vasant Chapter 18 - Dhwani is a poetic composition authored by Surya Kant Tripathi Nirala, renowned for his evocative portrayal of nature's beauty. The poem serves as a poignant exploration of human emotions through the lens of natural elements. Tripathi masterfully employs metaphors, illustrating the transient nature of human existence akin to the fleeting blossoms of spring. The verses paint a vivid picture of the poet's desire to imbue happiness into the lives of those burdened by sorrows, drawing parallels between the radiant sun and a harbinger of joy. The poem's structure, characterized by free verses, aligns with the neo-romantic literary style, making it a noteworthy exemplar of this genre.

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ध्वनि

Question 1 :

कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?

 

Answer :

कवि को विश्वास है कि उसका अंत अभी नही होगा क्योंकि अभी उसके मन के उपवन में वसंत का आगमन हुआ हैं। अर्थात अभी-अभी उसके मन में नया जोश व उमंग आयी हैं, उसका मन उत्साह से भरा हुआ हैं। उसे अभी युवकों को उत्साहित करना हैं तथा उन्हें आलस्य से उबारना हैं।

 


Question 2 :

फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?

Answer :

फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि निम्नलिखित प्रयास करता है जैसे -

  • वह नन्ही कलियों को खिला हुआ फूल बनाना चाहता हैं।

  • वह फूलों से आलस्य व निंद्रा हटाकर उन्हें चुस्त व खिला-खिला बनाना चाहता हैं।

 


Question 3 :

कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?

 

Answer :

पुष्पों की तंद्रा और आलस्य को दूर हटाने के लिए कवि निम्न प्रयास करना चाहता है -

  • वह फूलों के ऊपर कोमल हाथ फेरकर उन्हें निंद्रा से जगाना चाहता हैं।

  • वह फूलों को चुस्त तथा प्राणवान बनाना चाहता हैं।

  • वह फूलों को आभामय और पुष्पित करना चाहता है।

 


Question 4 :

वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।

Answer :

वसंत ऋतु को ऋतुराज इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह समस्त ऋतुयों का राजा हैं। अर्थात वसंत ऋतु में प्रकृति अपनी युवा अवस्था में होती हैं। वसंत ऋतु में मौसम भी अच्छा हो जाता हैं, न ही गर्मी और न ही सर्दी। वसंत ऋतु में पेड़ों में नए पत्तों का आगमन शुरू हो जाता हैं। सभी पेड़ नए-नए पत्तों से लद जाते हैं। आम के पेड़ों में बोर आने लगता हैं। खेतों में सरसों का पीला रंग भर जाता हैं जो कि देखने में सोने के जैसा लगता हैं। इस समय कोयल भी अपने पूरे स्वरों में गाती हैं। इस ऋतु में सब कुछ एकदम नया-नया लगता हैं, प्रकृति की एक अलग छवि दिखती हैं।

 


Question 5 :

वसंत ऋतु में आनेवाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।

Answer :

 वसंत ऋतु में कई त्यौहार मनाए जाते है, जैसे-

  • वसंत-पंचमी

  • महा शिवरात्रि

  • होली 

आदि।

होली :

होली त्योहार यानी रंगों का त्योहार। यह भारत के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। प्रतिवर्ष मार्च के महीने में आमतौर पर हिंदू धर्म के लोगों द्वारा उत्साह के साथ होली मनाई जाती है। जो भी लोग इस बेहतरीन पर्व को उत्साह से मनाते हैं, वे हर साल रंगों के साथ खेलने तथा स्वादिष्ट व्यंजनों का इंतजार करते हैं।

होली त्योहार के मनाये जाने के पीछे की कहानी यह ​​है कि कई वर्षों पहले हिन्दू धर्म में हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था। वह अपने आप को भगवान मानता था परंतु था वह एक राक्षस था। उसका एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन थी जिसका नाम था होलिका। ऐसा माना जाता है कि हिरण्यकश्यप के पास भगवान श्री ब्रह्मा जी का वरदान था। इस वरदान में कोई भी आदमी, जानवर या हथियार उसे मार नहीं सकता था। यह वरदान उसके लिए अभिशाप बन गया और उसने अपने पुत्र को नहीं बख्शा क्योंकि वह बहुत घमंडी हो गया था। उसने अपने राज्यके लोगों को भगवान की आराधना करने के बजाय उसकी पूजा करने का आदेश दिया।

इसके बाद, सभी लोग हिरण्यकश्यप की पूजा करने लगे, लेकिन प्रह्लाद ने अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु सच्चे भक्त थे। शैतान राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र की अवज्ञा को देखकर ने अपनी बहन के साथ प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। उसने होलिका की गोद में अपने बेटे प्रह्लाद को आग में बैठाया, जहां होलिका जल गई और भगवान विष्णु के आशीवार्द से प्रह्लाद सुरक्षित निकल आए। तब से लोगों ने बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होली मनाना शुरू कर दिया।

होली दोस्तों और घर-परिवार के साथ खुशियाँ बांटने के बारे में है। लोग अपनी परेशानियों को भूलकर इस अदभुत त्योहार को मनाने के लिए एकत्रित होते हैं। दूसरे शब्दों में, हम अपनी दुश्मनी भूल जाते हैं और त्योहार की भावना में पड़ जाते हैं। होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि इसमे सभी लोग गुलाल तथा तरह-तरह के रंगों के साथ खेलते हैं।

लोग उत्तर भारत में विशेष रूप से उत्साह और हर्ष के साथ होली मनाते हैं। होली के एक दिन पहले, लोग 'होलिका दहन' नामक एक अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में, लोग सार्वजनिक क्षेत्रों में लकड़ी के ढेर को जला देते हैं। यह होलिका और राजा हिरण्यकश्यप की कहानी बुरी शक्तियों को जलाने का प्रतीक है। इसके अलावा, वे होलिका के चारों ओर आशीर्वाद लेने और भगवान के प्रति अपनी भक्ति के लिए इकट्ठा होते हैं। होलिका दहन के बाद अगले दिन भारत का सबसे रंगीन दिन होता है, क्यंकि इस दिन लोग रंगों से खेलते है। लोग सुबह उठकर भगवान को पूजा में रंग अर्पित करते हैं इसके बाद वे रंगों से होली खेलते हैं। बच्चे पिचकारियों में पानी भरकर होली खेलते हैं। इस दिन बड़े लोग भी बच्चे बनकर एक दूसरे के चेहरे पर रंग लगाते हैं। होली प्रेम और भाईचारे का प्रतिक है। यह देश में सद्भाव और खुशी लाती है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह रंगीन त्योहार लोगों को एकजुट करता है और जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता है।

 


भाषा की बात

Question 1 :

‘हरे-हरे’, ‘पुष्प-पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है।

कविता के ‘हरे-हरे ये पात’ वाक्यांश में ‘हरे-हरे’ शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ ‘पात’ शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है।

ऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य एक वचन में हो और कर्म, या क्रिया या विशेषण बहुवचन में; जैसे – वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा।

कविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में भी प्रयोग होता है – ”तीन बेर खाती ते वे तीन बेर खाती है।” जो तीन बार खाती थी वह तीन बेर खाने लगी है।

एक शब्द ‘बेर’ का दो अर्थों में प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गया। इसे यमक अलंकार कहा जाता है।

कभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं; जैसे – मन का/मनका।

ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति हो।

ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निम्नलिखित पुनरावृत शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए –

बातों-बातों में, रह-रहकर, लाल-लाल, सुबह-सुबह, रातों-

रात, घड़ी-घड़ी।

 

Answer :

बातों-बातों में – बातों-बातों में हम रास्ता भटक गए।

रह-रहकर – आज तो रह-रहकर गर्मी पड़ रही हैं।

लाल-लाल – लगातार टी•वी देखने के बाद मेरी आँखें लाल-लाल हो गयीं।

सुबह-सुबह – सुबह-सुबह पड़ने से याद जल्दी होता हैं।

रातों-रात – वह रातों-रात गायब हो गया।

घड़ी-घड़ी – घड़ी-घड़ी शिक्षक उसे पढ़ाई करने के लिए टोकते रहते थे।

 


Frequently Asked Questions

The NCERT solution for Class 8 Chapter 18: Dhwani is important as it provides a structured approach to learning, ensuring that students develop a strong understanding of foundational concepts early in their academic journey. By mastering these basics, students can build confidence and readiness for tackling more difficult concepts in their further education. 

Yes, the NCERT solution for Class 8 Chapter 18: Dhwani is quite useful for students in preparing for their exams. The solutions are simple, clear, and concise allowing students to understand them better. They can solve the practice questions and exercises that allow them to get exam-ready in no time.

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Yes, students must practice all the questions provided in the NCERT solution for Class 8 Hindi Chapter 18: Dhwani as it will help them gain a comprehensive understanding of the concept, identify their weak areas, and strengthen their preparation. 

Students can utilize the NCERT solution for Class 8 Hindi Chapter 18 effectively by practicing the solutions regularly. Solve the exercises and practice questions given in the solution.

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