NCERT Solutions Class 9 Hindi Sparsh Chapter 32: Sharad Joshi

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Students can access the NCERT Solutions Class 9 Hindi Sparsh Chapter 32: Sharad Joshi. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.

Sharad Joshi

Question 1 :

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

1. अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?

2. कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही हैं?

3. पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?

4. दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?

5. तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?

6. सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?

 

Answer :

1.अतिथि लेखक के घर चार दिनों से अधिक समय तक रहता है।

2.कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही थी।

3..पति ने स्नेह से भीगी मुस्कान के साथ गले मिलकर और पत्नी ने आदर से नमस्ते करके उनका स्वागत किया।

4. दोपहर के भोजन को लंच की तरह शानदार बनाकर लंच की गरिमा प्रदान की गई।

5.तीसरे दिन अतिथि ने कपड़े धुलवाने हैं कहकर धोबी के बारे में पूछा।

6.सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लंच डिनर की जगह खिचड़ी बनने लगी। खाने में सादगी आ गई और अब भी अतिथि नहीं जाता तो उपवास तक रखना पड़ सकता था। ठहाकों के गुब्बारों की जगह एक चुप्पी हो गई। सौहार्द अब धीरे-धीरे बोरियत में बदलने लगा ।

 


प्रश्न-अभ्यास (लिखित) –निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

Question 1 :

लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?

Answer :

 लेखक अतिथि को एक भावभीनी विदाई देना चाहता था। वह चाहता था कि जब अतिथि जाए तो पति-पत्नी उसे स्टेशन तक छोड़ने जाए। उन्हें सम्मानजनक विदाई देना चाहते थे परंतु उनकी यह मनोकामना पूर्ण नहीं हो पाई।


Question 2 :

अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।

 

Answer :

 जब लेखक ने अनचाहे अतिथि को आते देखा तो उसे महसूस हुआ कि खर्च बढ़ जाएगा। इसी को बटुआ काँपना कहते हैं।

 


Question 3 :

अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।

 

Answer :

 अतिथि जब आता है तो देवता जैसा प्रतीत होता है। अतिथि जब बहुत दिनों तक किसी के घर ठहर जाता है तो ‘अतिथि देवो भव’ का मूल्य नगण्य हो जाता है। आने के एक दिन बाद वह सामान्य हो जाता है अर्थात् इतना बुरा भी नहीं लगता इसलिए इसे मानव रुप में कहा है और ज़्यादा दिन रह जाए तो राक्षस जैसा प्रतीत होता है अर्थात् बुरा लगने लगता है।

 


Question 4 :

 लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ें।

Answer :

 हर व्यक्ति अपने घर में सुख-शांति बनाए रखना चाहता है। अपने घर को स्वीट होम बनाए रखना चाहता है परन्तु अनचाहा अतिथि आकर उसकी इस मिठास को खत्म कर देता है। असुविधाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। उनका आचरण दूसरों के जीवन को उथल-पुथल कर देता है। यह दूसरों के घर की सरसता कम करने का कारण बन जाते हैं।


Question 5 :

 मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।

 

Answer :

अतिथि यदि एक दो दिन ठहरे तो उसका आदर सत्कार होता हैं परंतु अधिक ठहरे तो वह देवत्व को खोकर राक्षसत्व का बोध कराने लगता है। अतिथि चार दिन से लेखक के घर रह रहा था। कल पाँचवा दिन हो जाएगा। यदि कल भी अतिथि नहीं गया तो लेखक अपनी सहनशीलता खो बैठेगा और अतिथि सत्कार भूलकर कुछ गलत न बोल दे।

 


Question 6 :

एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।

 

Answer :

यदि अतिथि को देवता माना जाए तो वह मनुष्य के साथ ज़्यादा नहीं रह सकता। दोनों को सामान्य मनुष्य बनना पड़ेगा। देवता की पूजा की जाती है। देवता तो थोड़ी देर के लिए दर्शन देकर चले जाते हैं क्योंकि देवता यदि अधिक समय तक ठहरे तो उसका देवत्व समाप्त हो जाएगा।

 


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

Question 1 :

कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?

 

Answer :

 जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे। लेखक ने उसके साथ मुस्कुराकर बात करना छोड़ दिया, बातचीत के विषय समाप्त हो गए। सौहार्द व्यवहार अब बोरियत में बदल गया। मधुर संबंध कटुता में परिवर्तित हो गए। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर से खिचड़ी तक पहुँचकर अतिथि के जाने का चरम क्षण समीप आ गया था। इसके बाद लेखक उपवास तक जाने की तैयारी करने लगा। लेखक अतिथि को ‘गेट आउट’ तक कहने के लिए तैयार हो गया।


Question 2 :

‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना’ – इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।

 

Answer :

‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना’ – इस पंक्ति का आशय है संबंधों में परिवर्तन आना। जो संबंध आत्मीयतापूर्ण थे अब घृणा और तिरस्कार में बदलने लगे। जब लेखक के घर अतिथि आया था तो उसके संबंध सौहार्द पूर्ण थे। उसने उसका स्वागत प्रसन्नता पूर्वक किया था। लेखक ने अपनी ढ़ीली-ढ़ाली आर्थिक स्थिति के बाद भी उसे शानदार डिनर खिलाया और सिनेमा दिखाया। लेकिन अतिथि चार पाँच दिन रुक गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे। मधुर संबंध कटुता में परिवर्तित हो गए। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर से खिचड़ी तक पहुँचकर अतिथि के जाने का चरम क्षण समीप आ गया था।

 


Question 3 :

जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?

 

Answer :

 जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे। लेखक ने उसके साथ मुस्कुराकर बात करना छोड़ दिया, बातचीत के विषय समाप्त हो गए। सौहार्द व्यवहार अब बोरियत में बदल गया। मधुर संबंध कटुता में परिवर्तित हो गए। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर से खिचड़ी तक पहुँचकर अतिथि के जाने का चरम क्षण समीप आ गया था। इसके बाद लेखक उपवास तक जाने की तैयारी करने लगा। लेखक अतिथि को ‘गेट आउट’ तक कहने के लिए तैयार हो गया।

 


भाषा अध्ययन

Question 1 :

 निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्याय लिखिए –

चाँद, ज़िक्र, आघात, ऊष्मा, अंतरंग

 

Answer :

चाँद − राकेश, शशि, रजनीश

ज़िक्र − उल्लेख, वर्णन

आघात − हमला, चोट

ऊष्मा − गर्मी, घनिष्ठता, ताप

अंतरंग − घनिष्ठ, आंतरिक

 


Question 2 :

 निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए –

(क) हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य)

(ख) किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं,जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य)

(ग) सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत् काल)

(घ) इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची)

(ङ) कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक)

 

Answer :

(क) हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने नहीं जाएँगे।

(ख) किसी लॉण्ड्री पर दे देने से क्या जल्दी धुल जाएँगे?

(ग) सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जाएगी।

(घ) इनके कपड़े यहाँ देने हैं।

(ङ) ये अब नहीं टिकेंगे।

 


Question 3 :

 पाठ में आए इन वाक्यों में ‘चुकना’ क्रिया के विभिन्न प्रयोगों को ध्यान से देखिए और वाक्य संरचना को समझिए –

(क) तुम अपने भारी चरण-कमलों की छाप मेरी ज़मीन पर अंकित कर चुके।

(ख) तुम मेरी काफ़ी मिट्टी खोद चुके।

(ग) आदर-सत्कार के जिस उच्च बिंदु पर हम तुम्हें ले जा चुके थे।

(घ) शब्दों का लेन-देन मिट गया और चर्चा के विषय चुक गए।

(ङ) तुम्हारे भारी-भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी और तुम यहीं हो।

Answer :

 पाठ में आए इन वाक्यों में ‘चुकना’ क्रिया के विभिन्न प्रयोगों को ध्यान से देखिए और वाक्य संरचना को समझिए –

(क) तुम अपने भारी चरण-कमलों की छाप मेरी जमीन पर अंकित कर चुके।

(ख) तुम मेरी काफ़ी मिट्टी खोद चुके।

(ग) आदर-सत्कार के जिस उच्च बिंदु पर हम तुम्हें ले जा चुके थे।

(घ) शब्दों का लेन-देन मिट गया और चर्चा के विषय चुक गए।

(ङ) तुम्हारे भारी-भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी और तुम यहीं

 


Question 4 :

 निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं में ‘तुम’ के प्रयोग पर ध्यान दीजिए –

(क) लॉण्ड्री पर दिए कपड़े धुलकर आ गए और तुम यहीं हो।

(ख) तुम्हें देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कुराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त हो गई है।

(ग) तुम्हारे भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी।

(घ) कल से मैं उपन्यास पढ़ रहा हूँ और तुम फिल्मी पत्रिका के पन्ने पलट रहे हो।

(ङ) भावनाएँ गलियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं, पर तुम जा नहीं रहे।

 

Answer :

निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं में ‘तुम’ के प्रयोग पर ध्यान दीजिए –

(क) लॉण्ड्री पर दिए कपड़े धुलकर आ गए और तुम यहीं हो।

(ख) तुम्हें देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कुराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त हो गई है।

(ग) तुम्हारे भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी।

(घ) कल से मैं उपन्यास पढ़ रहा हूँ और तुम फिल्मी पत्रिका के पन्ने पलट रहे हो।

(ङ) भावनाएँ गलियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं, पर तुम जा नहीं रहे।

 


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